केन्द्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान आज भुवनेश्वर में ‘अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए इस्पात का उपयोग बढ़ाने की प्रक्रियाओं को सक्षम करना’ विषय पर एक कार्यशाला में भाग लिया। इस कार्यशाला का आयोजन इस्पात मंत्रालय ने जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय (एमईटीआई) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की साझेदारी से किया था।
कार्यशाला में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जापान की साझेदारी से वह ओडिशा को इस्पात क्षेत्र में पूर्वोदय का केंद्र बनाने के लिए तत्पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन पूर्वोदय का आह्वान किया है जिससे पूर्वी भारत राष्ट्रीय विकास को गति दे रहा है और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर कर रहा है।
इस पहल के बारे में बताते हुए प्रधान ने कहा कि हम भारत में इस्पात के उपयोग को बढ़ाने के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने जापान को अपने साझेदार देश के रूप में चुना है जो हमें भारतीय स्टील तंत्र को गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों मोर्चे पर बड़ा बनाने के लिए मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि जापान और ओडिशा का काफी पुराना संबंध रहा है। जापान की मदद से निर्मित प्रसिद्ध धौली स्तूप दो सभ्यताओं के बीच की एक कड़ी है। प्रधान ने कहा कि आज कुछ दशकों के बाद हम फिर से नया इतिहास और ओडिशा में जापान के सहयोग से इस्पात क्षेत्र में वृद्धि का नया अध्याय लिखने में जुट गए हैं।
पूर्वी भारत के बारे में बताते हुए प्रधान ने कहा कि पूर्वी भारत का समाज काफी आकांक्षी समाज है जहां लोग आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं और खर्च करने की उनकी क्षमता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत राष्ट्रीय आर्थिक विकास को गति देने और देश को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
प्रधान ने बताया कि ओडिशा में रेलवे, सड़क, हवाईअड्डे, पाइपलाइन, पुल आदि विकसित करने में 5 अरब डॉलर खर्च किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में अत्यधिक गरीबों को 8 करोड़ नए एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास उत्कृष्ट ढांचागत विकास और आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना है।प्रधान ने ओडिशा में इस्पात क्षेत्र की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ओडिशा आज देश का सर्वोच्च इस्पात उत्पादक राज्य है। हमलोग ओडिशा में इस्पात पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2030 तक ओडिशा का इस्पात उत्पादन 100 एमटीपीए को पार कर जाएगा। उन्होंने कहा कि ओडिशा इस्पात क्षेत्र में मिशन पूर्वोदय का मुख्य केन्द्र बनने जा रहा है।
इस अवसर पर भारत में जापान के राजदूत श्री सतोशी सुजुकी ने कहा कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है और यह भारत के साथ अपने अनुभव को साझा करने का सही समय है। उन्होंने बताया कि जापानी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ तेजी से सहयोग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि भारत और जापान इस्पात क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए भारत-जापान इस्पात शुरू की है। भारत में इस्पात की मांग बढ़ने वाली है। जापान की अर्थव्यवस्था में भारतीय लौह अयस्क के योगदान के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत, खासकर ओडिशा से लौह अयस्क के निर्यात ने जापान को एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने में मदद की।
इस कार्यशाला में ओडिशा के इस्पात और खनन मंत्री, श्री प्रफुल्ल कुमार मल्लिक, इस्पात मंत्रालय के अपर सचिव सुश्री रसिका चौबे, ओडिशा के प्रधान सचिव (उद्योग) हेमंत कुमार, सेल के अध्यक्ष अनिल चौधरी, टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टी. वी. नरेंद्रन और सरकार और उद्योग से जुड़े कई अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।