प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत गणराज्य और बेल्जियम के बीच प्रर्त्यपण संधि के हस्ताक्षर और अभिपुष्टि को मंजूरी दी।
विशेषताएं
संधि की मुख्य विशेषताएं निम्न हैः-
- प्रर्त्यपण का दायित्व प्रत्येक पक्ष दूसरे पक्ष के ऐसे व्यक्ति के प्रर्त्यपण की सहमति प्रदान करता है जो उसके देश के सीमा क्षेत्र में प्रत्यर्पण अपराध का आरोपी है या से सजा दी जा चुकी है।
- अपराध जिसके अन्तर्गत प्रर्त्यपण किया जा सकता है।
प्रर्त्यपण अपराध का अर्थ है -एक अपराध जो दोनों देशों के कानूनों के अन्तर्गत दंडनीय है और जिसमें एक वर्ष के कारावास या अधिक कड़े दंड का प्रावधान है। जब किसी सजा प्राप्त व्यक्ति के प्रर्त्यपण की मांग की जाती है तो शेष सजा की अवधि कम से कम 6 महीने होनी चाहिए जब प्रर्त्यपण का अनुरोध किया गया हो। टैक्स, राजस्व और वित्त से जुड़े अपराधों को भी इस संधि के दायरे में रखा गया है।
- अस्वीकार करने के लिए अनिवार्य आधार
संधि के अन्तर्गत, प्रर्त्यपण को अस्वीकार किया जा सकता है यदि
- अपराध की प्रकृति राजनीतिक है। हालांकि संधि में कुछ ऐसे अपराधों को शामिल किया गया है जिन्हें राजनीतिक अपराध नहीं माना जाएगा।
- अपराध एक सैन्य अपराध है।
- व्यक्ति के रंग, लिंग, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक विचार के कारण व्यक्ति पर अभियोजन करने या दंडित करने के उद्देश्य से अभियोजन का अनुरोध किया गया है।
- दंड को लागू करने की समय-सीमा बीत चुकी है। राष्ट्र के लोगों का प्रर्त्यपण राष्ट्र के लोगों का प्रर्त्यपण विवेशधिकार पर आधारित है। राष्ट्रीयता का निर्धारण उस समय के अनुसार किया जाएगा जब अपराध किया गया है।
प्रमुख विशेषताएं
संधि के अन्य प्रावधान निम्न हैः-
- मृत्यु-दंड के मामले में आश्वासन (धारा 3 (7))
- केन्द्रीय प्राधिकरण (धारा 6)
- आत्मसमर्पण (धारा 11)
- संपत्ति हस्तांतरण ( धारा 18)
- पारगमन (धारा 19)
- व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा (धारा 21)
- प्रर्त्यपण में होनेवाला खर्च (धारा 22)
- परामर्श (धारा 24)
- प्रर्त्यपण से संबंधित आपसी कानूनी सहायता (धारा 25)
- संधि की समाप्ति (धारा 26)
लाभ
संधि के माध्यम से बेल्जियम को और बेल्जियम से प्रत्यर्पित होने वाले आतंकियों, आर्थिक अपराधियों और अन्य अपराधियों के प्रर्त्यपण को कानूनी आधार प्राप्त होगा। अभिपुष्टि के बाद भारत और बेल्जियम के बीच अभिपुष्टि-पत्रों के आदान-प्रदान के दिन से संधि लागू हो जाएगी।
पृष्ठभूमि
नयी संधि स्वतंत्रता-पूर्व 1901 में ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच में हुई संधि का स्थान लेगी जो भारत पर भी लागू की गई थी। वर्तमान में उक्त संधि ही भारत और बेल्जियम के बीच लागू है। स्वतंत्रता-पूर्व संधि में अपराधों की संख्या सीमित है जिसके कारण यह उपयोगी नहीं रह गई है।