यह देखा गया है कि देर से दाखिल करने पर अतिरिक्त शुल्क लागू होने के कारण, जो कि देरी के मामले में वास्तव में वित्तीय बोझ बन सकता है, सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) की एक बड़ी संख्या इसका अनुपालन नहीं कर रही है। देरी की कुल अवधि के लिए विलंब शुल्क का भुगतान करने में उनकी अक्षमता इसका मुख्य कारण है।
कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों के तहत, लंबित दस्तावेजों को दाखिल करने तथा भविष्य में एक योग्य एलएलपी के रूप में सेवा करने के लिए डिफ़ॉल्ट एलएलपी को अतिरिक्त शुल्क में एक बार की छूट देने का निर्णय लिया गया है।
तदनुसार, केंद्र सरकार ने पंजीयक के पास वैधानिक रूप से आवश्यक दस्तावेज दाखिल करने में पंजीयक एक बार देरी की अनुमति देकर "एलएलपी सेटलमेंट स्कीम, 2020" नामक एक योजना शुरू करने का निर्णय लिया है।ऐसे एलएलपी, जो स्वयं योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, लंबित दस्तावेजों/प्रपत्रों को दाखिल कर सकते हैं और इस तरह के चूक के लिए मुकदमा चलाने से बचने के लिए एक बार ही ऐसी चूक कर सकते हैं।
यह योजना 16 मार्च, 2020 को लागू होगी और यह 13 जून, 2020 तक प्रभावी रहेगी। यह अतिदेय दस्तावेज दाखिल करने के लिए "डिफ़ॉल्ट एलएलपी" पर लागू होगा, जो 31 अक्टूबर, 2019 तक दाखिल करने के लिए था। इस तरह के दस्तावेज़ या रिटर्न दाखिल करने के लिए देय किसी भी शुल्क के अलावा, विलंब शुल्क की अवधि से प्रतिदिन 10 रुपये के एक मामूली अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। इसके लिए प्रति दस्तावेज अधिकतम राशि 5,000 रुपये होगी।
योजना निम्नलिखित दस्तावेजों के दाखिल करने के लिए लागू होगी:
प्रपत्र 3- सीमित देयता भागीदारी समझौते और परिवर्तनों के संबंध में जानकारी, यदि कोई हो
प्रपत्र-4- नामित साझेदार अथवा साझेदार की नियुक्ति, समाप्ति की सूचना, नाम/पता/पदनाम में परिवर्तन तथा साझेदार /नामित साझेदार बनने के लिए सहमति/नामित भागीदार बनने के लिए सहमति की सूचना;
प्रपत्र-8- खाता और सॉल्वेंसी का विवरण (वार्षिक या अंतरिम); तथा
प्रपत्र-11- सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) का वार्षिक रिटर्न।
इस योजना को देश के नागरिकों के रहन-सहन में अधिक से अधिक आसानी प्रदान करने के सरकार के लक्ष्य के अनुसरण में शुरू किया जा रहा है और एलएलपी के लिए एक महत्वपूर्ण राहत और अवसर प्रदान करने की उम्मीद है, जो कानून का पालन करें और तदनुसार व्यापार करें।