19वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार ने एक ऊर्जा कुशल भारत बनाने की दिशा में एक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए हितधारकों के साथ परामर्श का आयोजन किया। विद्युत सचिव संजीव नंदन सहाय ने कहा कि मैं ऊर्जा कुशल अर्थव्यवस्था की दिशा में योगदान देने के लिए बीईई की कड़ी मेहनत की सराहना करता हूं और साथ ही मैं बीईई से भविष्य में इस तरह के अधिक से अधिक कार्यक्रमों के साथ आगे आने की उम्मीद करता हूं। इस तरह के प्रयास ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में बीईई द्वारा की जाने वाली अन्य पहलों के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेंगे। डीप फ़्रीज़र और एलसीएसी वाणिज्यिक क्षेत्र में ऊर्जा के मुख्य खपत करने वाले क्षेत्र हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि ऊर्जा को बचत और कार्बन डॉइआक्साइड गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए इन दो उपकरणों को ऊर्जा बचत के कार्यक्रम में शामिल करना आवश्यक है। दो उत्पादों से ही वित्तीय वर्ष 2030 तक लगभग कुल 9 बिलियन यूनिट बिजली की बचत होने की उम्मीद है। सभी हितधारकों का स्वागत करते हुए, अभय बाकरे, महानिदेशक बीईई, ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के भागीदारों द्वारा दिए गए समर्थन और मार्गदर्शन की सराहना की।
बीईई ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत, ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी द्वारा स्टार लेबलिंग कार्यक्रम तैयार किया गया है। बीईई ने अपने आवश्यक शासन के तहत 24 उपकरणों को कवर किया है, जिसमें से 10 उपकरण अनिवार्य शासन के अधीन हैं। 19वें स्थापना दिवस के अवसर पर, बीईई ने ऊर्जा दक्ष “डीप फ़्रीज़र्स” और “लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर (एलसीएसी)” को शामिल करके अपनी कवरेज का विस्तार किया है। इन दो नए उपकरणों के स्वैच्छिक शुरूआत के माध्यम से, इस कार्यक्रम के तहत अब 26 उपकरणों को शामिल किया जाएगा। इस कार्यक्रम के दौरान उर्जा दक्ष सूचना उपकरण (उदित) (www.udit.beeindia.gov.in) को ऊर्जा दक्षता पर एक डेटाबेस की सुविधा के लिए शुरू किया गया था। उदित एक उपयोगकर्ता के अनुकूल मंच है। जो उद्योग, उपकरण, भवन, परिवहन, नगरपालिका और कृषि क्षेत्रों में भारत की ऊर्जा दक्षता परिदृश्य की व्याख्या करता है।
ऊर्जा कुशल भारत के विकास के लिए हितधारक परामर्श भारत का ऊर्जा क्षेत्र हाल ही में सरकार की विकास संबंधी महत्वाकांक्षाओं के संक्रमण के लिए निर्धारित है। उदाहरण के लिए 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 175 गीगावॉट करना, सभी के लिए 24 घंटे विद्युत, सभी के लिए आवास, 100 स्मार्ट सिटी मिशन, ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देना, रेलवे क्षेत्र का विद्युतीकरण, घरों का शत प्रतिशत विद्युतीकरण, कृषि पंप सेटों का सौर विद्युतीकरण और स्वच्छ खाना पकाना आदि।
विश्व ऊर्जा आउटलुक (डब्ल्यूईओ 2010) के अनुसार ऊर्जा दक्षता में सबसे अधिक सीएचजी बढ़ावा देने की क्षमता लगभग 51% है। इसके बाद नवीकरणीय (32%), जैव ईंधन (1%), परमाणु (8%), कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (8%) हैं।
भारत महत्वाकांक्षी ऊर्जा दक्षता नीतियों (आईईए-भारत 2020) के कार्यान्वयन के साथ 2040 तक नई बिजली उत्पादन के 300 गीगावॉट के निर्माण से बच सकता है। ऊर्जा दक्षता उपायों के सफल कार्यान्वयन से 86.60 बिलियन यूनिट की विद्युत बचत में योगदान मिल सकता है। यह देश की कुल विद्युत खपत का 7.14% है। इससे 2017-18 के दौरान 108.28 मिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड की उत्सर्जन में कमी में योगदान दिया। आगे के कार्यक्रम पर विचार के लिए बीईई के 19वें स्थापना दिवस के अवसर पर हितधारकों के साथ परामर्श कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों ने भाग लिया।
डीप फ़्रीज़र्स और लाइट कमर्शियल एयर कंडीशनर के लिए स्टार लेबलिंग कार्यक्रम का शुभारंभ
डीप फ्रीजर के लिए स्टार लेबलिंग कार्यक्रम स्वैच्छिक आधार पर शुरू किया गया है और ऊर्जा की खपत के मानक 31 दिसंबऱ 2021 तक प्रभावी होंगे। इस कार्यक्रम में आईएस 302-2 – 24 की आवश्यकताओं के साथ सभी क्षमताओं के हार्डटॉप और ग्लास टॉप चेस्ट प्रकार के डीप फ्रीजर सुरक्षा के लिए और आईएस 7872 ऊर्जा प्रदर्शन के लिए शामिल है।प्रदर्शन मानक/ऊर्जा खपत मानक डीप फ़्रीज़र्स की वार्षिक ऊर्जा खपत (किलोवॉट प्रति घंटा/वर्ष) पर आधारित हैं। वाणिज्यिक प्रशीतन क्षेत्र में मुख्य रूप से डीप फ़्रीज़र्स शामिल है और अगले दशक में दोगुना बिजली की मांग को बढ़ाने के लिए तैयार है।वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए चेस्ट और अपराइट प्रकार के डीप फ्रीजर सेगमेंट के लिए कुल संगठित बाजार लगभग 5-6 लाख यूनिट था। पिछले 3 वर्षों में यह बाजार बढ़कर दोगुना से अधिक हो गया और उच्च सीएजीआर पर इसके और बढ़ने की उम्मीद है। चेस्ट प्रकार के फ्रीजर की बाजार में हिस्सेदारी लगभग 99% है, इससे अपराइट प्रकार के डीप फ्रीजर के लिए 1% हिस्सेदारी बचती है। लगभग 3.72 लाख डीप फ्रीजर इकाइयों का आयात किया गया जबकि शेष स्वदेशी रूप से निर्मित हैं।इस पहल के माध्यम से, यह वित्त वर्ष 2030 तक लगभग 6.2 बिलियन यूनिट बचने की उम्मीद है, जो 5.3 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के ग्रीन हाउस गैस न्यूनीकरण के बराबर है।इस कार्यक्रम को शुरू में स्वैच्छिक मोड में 2 मार्च, 2020 से 31 दिसंबर, 2021 तक चलाया जाएगा। इसके बाद, उपकरणों के इस विशेष खंड में बाजार बदलाव के स्तर की समीक्षा के बाद इसे अनिवार्य बनाया जाएगा। इस पहल के माध्यम से, वित्त वर्ष 2030 तक लगभग 2.8 बिलियन विद्युत यूनिट बचने की उम्मीद है, जो कि 2.4 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) न्यूनीकरण के बराबर है।